यस आई एम— 39
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"कहानी बताने से पहले मैं आप लोगों को बता देती हूं की दोनों फॉर्मेट मिक्स भी हो सकते है अब कई दिनों का लेखा जोखा जो बता रही हूं इतना तो चलता ही है।"
मीरा की मुलाकात को कई दिन बीत चुके थे। वह एक दिन मॉल में शॉपिंग करने के लिए गई हुई थी जब वह चेंजिंग रूम में से बाहर निकली तो उसके चेंजिंग रूम में जाने से पहले के हुलिए और वहां से बाहर निकलने के बाद वाले हुलिए में धरती आसमान का अंतर था। इस वक्त वह वन पीस ड्रेस पहने हुई थी जिसमें वह बला सी खूबसूरत लग रही थी, कोई भी उस वक्त लड़की को देखकर बिल्कुल भी नही बता सकता था कि यह वही बैगी से कपड़े पहनने वाली लड़की है जो रेस्टोरेंट में काम करती है। असलियत में इतनी खूबसूरत भी हो सकती है ........।
चेंजिंग रूम से बाहर निकलने के बाद वह मिरर के सामने जाकर रूकी और खुद को निहारने लगी। उसे खुद को मिरर में देखकर यकीन नही हो रहा था की वह वही है मतलब जिसे वह रोज देखती है........। उस वक्त जिस जिस शख्स की नजर लड़की पर पड़ रहीं थी वह उसे देखते ही जा रहा था। चाहे लड़का हो या लड़की जो भी उसे देख रहा था उसका दीवाना सा होता जा रहा था और खास तौर पर लड़को का तो पूछो ही मत।
थोड़ी देर तक लोगों को जलाने के बाद वह चेंजिंग रूम में दोबारा फिर से अपने कपड़े चेंज करने के लिए चली गई और वहां से बाहर आने के बाद वह सीधा बिल पे करने के लिए काउंटर पर चली गई। बिल पे करने के बाद वह सीधा मोल में ही बनी एक बैकरी शॉप के अंदर चली गई, वहां जाते ही उसने चॉकलेट पेस्ट्री ऑर्डर की। जब तक पेस्ट्री आए तब तक वह खुद से ही बातें करनी लगी।
"अब आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं जो थैले की तरह ढ़ीले ढाले कपड़े पहनती हूं वह अचानक से ये मॉडल वाले कपड़ो में कैसे..........? थोड़ी देर रुकिए आपको सब पता चल जाएगा। अब दूसरा सवाल आप लोगों के दिमाग में आ रहा होगा कि जब मेरा खुद का रेस्टोरेंट है तो मैं यहां क्यों खा रही हूं? क्या हमारे यहां का खाना अच्छा नही है? इसका जवाब भी मै आप लोगों को बाद में ही दूंगी। वैसे आज एक बात पता चल गई कि मै सच में बहुत सुंदर हूं। पता नही क्यों मैं अपना हुलिया बिगाड़ कर रखती हूं। हुलिए से याद आया दुनिया में दो तरह से लोग होते है जो सुंदर नही होते पर फिर भी सुंदर दिखने के लिए लिपा पौती करके अपने चेहरे पर मोटी मोटी परत जमा लेते है और दूसरे होते है मेरे जैसे जो सुंदर तो बहुत होते है पर अपना हुलिया बिगाड़ कर रखते है। अब कोई बीच में आकर ये ज्ञान मत देने लगा जाना की चेहरे की सुंदरता कुछ नही होती यह तो दिन के साथ ढल जाती है जो भी होती है दिल की सुंदरता होती है........क्या वाकई में ऐसा ही है। जो ऐसा ज्ञान देते है वे ही ज्यादा शक्ल सुरत के पीछे भागते है। अगर मैं अपनी बात करूं, दिल से तो मैं बिल्कुल भी साफ नहीं...... होऊंगी भी तो कैसे बेचारा मेरा नाजुक सा दिल ब्लड पंपिंग का काम करता है , लोगों को साफ सफाई देने का नही।
वह आगे कुछ सोच पाती या फिर कह पाती तब तक उसका ऑर्डर भी आ चुका था। वह पेस्ट्री खाने ही वाली थी तभी वहां पर एक लड़का आया और लड़की के पास से होता हुआ सीधा बैकरी वाले के पास चला गया। अपनी पेस्ट्री को लेकर आने के बाद वह लड़का, लड़की के सामने जाकर बैठ गया। लड़की को लड़के से इस तरह की उम्मीद बिल्कुल भी नही थी। जिस वजह से उसने अपनी पेस्ट्री खाने बीच में ही रोक दी और लड़के को अजीब से तरीके से देखने लगीं। जिस तरह वह लड़के रहीं थी लड़का उसे देखकर झेंप गया और सोच में पड गया कही उसने ऐसा करके कोई गलती तो नही की ..............?
वह लड़का ना तो पूरी तरह से बैठ पाया था और ना ही पूरी तरह से खड़ा हो पाया बस बीच में ही लटका रह गया। लड़की ने घूरना अभी तक भी बंद नही किया था वह लगातार टक टकी लगाए हुए लड़के को घूर रही थी ऐसा लग रहा था मानो वह उसे कच्चा चबा जाएगी। लड़की को इस तरह से खुद को घूरता हुआ देख वह पहले से ज्यादा घबरा गया और अपनी घबराहट पर काबू पाते हुए बोला। "अगर आपको कोई प्रॉब्लम ना हो तो क्या मैं आपकी कम्पनी एंजॉय कर सकता हूं? क्योंकि आप जैसी खुबसूरत लड़की की कम्पनी हर कोई एंजॉय करना चाहेगा।" लड़के ने अपने एक एक शब्द को जिस तरह से बोला था उससे तो यही पता चल रहा था लड़का इस वक्त बहुत ज्यादा घबराया हुआ था और उसने जो भी बात पूछी थी वह घबराहट की वजह से खुद ब खुद ही निकल कर उसके मुंह से बाहर आई थी।
"ऑफ कोर्स। वाय नॉट......." लड़की के मुंह से इतनी बात सुनकर वह लड़का खुशी खुशी बैठ गया क्योंकि लड़की उसे जिस तरह से घूर रही थी उसे लड़की से इस तरह के जवाब की तो बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। इतनी बात सुनकर वह लड़का इस तरह से खुश हो रहा था जैसे लड़की ने उसे गोद में बैठने के लिए बोल दिया हो।
उसे अपने सामने बैठा हुआ देख वह लड़की मन ही मन सोचने लगी। "क्या दिन आ गए है.....अब इन जैसे नमूनों को भी झेलना पड़ेगा। वैसे तो मुझे सब मालूम है की यह यहां पर भी यह अस्त मुझे फॉलो करते हुए ही आया है पर फिर भी इस बेवकूफ के मुंह से सुनने में मजा आयेगा की ये बातों को कैसे बताता है, जो भी हो मुझे तो बहुत मजा आने वाला है।"
लड़का खुद को कंफर्टेबल करते हुए बोला। "आपका क्या नाम है? मैने कुछ देर पहले आपको चेंजिंग रूम के बाहर देखा था और ......................" इतना बोल कर वह चुप हो गया।
"नाम में क्या रखा है.......एक नाम के तो वैसे भी इस दुनिया में इतने सारे लोग है इसलिए काम और बातों पर ध्यान दीजिए। बाकी जो बात अधूरी छोड़ी है उसे पूरा कीजिए।" लड़की ने सपाट लहजे में जवाब दिया।
इतना कहते ही लड़का सोच में पड़ गया और बस इतना ही बोला। "कुछ भी तो नही कहना था बस मुंह से ऐसे ही निकल गया।"
"ठीक है..........मत बताओ क्या बात है वैसे भी मुझे क्या करना है जानकर जरूरी होगी तो तुम खुद मुझे बाट बता दोगे और अगर नही हुई तो नही बताओंगे।" उसने अपनी इस बात से लड़के के जज्बातों लिए चिंगारी का काम कर दिया था।
इतनी बात सुनकर लड़का सोच में पड़ गया और मन ही मन सोचने लगा की लड़की को दिल की बात बताई जाए या नही और फाइनली वह बताने का फैसला कर लेता है।
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To be continued....................